25 October 2012

Pyaas

प्यास 

आस्थओं के सूखे जंगलों में 
एक कुसुम की तलाश है ।

विरह के तीखे सागर में 
मीठे जल की प्यास है ।

भीड़ में कैद रह कर 
एक अपने की तलाश है ।

चारों और से खिचते मन का 
कहीं और ही खिंचाव है ।

ह्रदय में उठती तड़प 
पर बस प्रभु आपका ही नाम है ।

यह  दूरियाँ चुभती हैं, तड़पाती हैं 
जैसे आग में तपे लोहे के शूल भेदे इस दिल को ।

यह दूरियां मिटा दें प्रभु 
अब और नहीं सह सकता,
बस कुछ क्षण का दर्शन दे दें 
ताकि सांस ले सकू 
आखिर एक कीड़ा और क्या मांग सकता है ।।

Miss you O my Lord! Please call me now.



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